वक़्फ़ संशोधन विधेयक से जुड़ी बड़ी खबर, राष्ट्रपति ने ………

संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक को अब राष्ट्रपति मुर्मू की भी मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है। केंद्र सरकार ने इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी है। अब जबकि यह विधेयक कानून बन गया है तो इसका व्यापक असर होगा। खासतौर से एएसआई संरक्षित स्मारकों पर वक्फ का दावा एक झटके में खत्म हो जाएगा। इसके अलावा आदिवासी बहुल राज्यों और इलाकों में जमीन सहित अन्य संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं की जा सकेगी। इसके अलावा वक्फ की ऐसी संपत्ति जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है, उसको बचा पाना मुश्किल होगा।
केंद्र ने इस विधेयक को पिछले साल अगस्त को लोकसभा के सामने रखा था। हालांकि, बाद में सर्वसम्मति से इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया। जेपीसी ने करीब छह महीने तक विधेयक पर मिले संशोधन के सुझावों पर विचार किया और 27 जनवरी को इसे फिर से संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी। एक महीने बाद ही केंद्रीय कैबिनेट ने भी इस विधेयक पर मुहर लगा दी। इसके बाद पहले इसे लोकसभा और फिर राज्यसभा में पेश किया गया। इसके जरिए सरकार ने वक्फ कानून, 1995 में संशोधन किया है।
बता दें कि संसद के दोनों सदनों में बहुमत के अभाव में भाजपा को अपने सहयोगियों की कुछ मांगों को स्वीकार करना पड़ा था। जेपीसी में इसमें कई बदलाव किए गए। इनमें विधेयक के कानून बनने की अधिसूचना जारी होने के पहले मस्जिद एवं अन्य धार्मिक स्मारकों, चिन्हों पर पूर्व की स्थिति बहाल रखने, जमीन संबंधी विवाद के निपटारे के लिए राज्य सरकार को जिला मजिस्ट्रेट के इतर अधिकारी नियुक्त करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। आदिवासियों के हित संरक्षण के संदर्भ में सरकार ने संविधान की 5वीं और 6ठी अनुसूचि का हवाला देते हुए आदिवासी इलाकों में वक्फ संपत्ति घोषित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका अर्थ है कि करीब-करीब पूरा पूर्वोत्तर, समूचे झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित देश के कई राज्यों के आदिवासी इलाकों की जमीन और संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा।
