आदमखोर गुलदार- हल्द्वानी में बुज़ुर्ग महिला को बनाया निवाला, आक्रोशित ग्रामीण सड़कों पर उतरे
हल्द्वानी। शहर में गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। फतेहपुर के जंगल में घास लेने गई महिला पर गुलदार ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। महिला की मौत के बाद ग्रामीण सड़क पर उतर आए और वन विभाग के खिलाफ रोष जाहिर किया। उन्होंने शव सड़क पर रखकर जाम लगा दिया और गुलदार को पकड़ने की मांग की। फतेहपुर रेंज में हुई सातवीं घटना से लोगों में दहशत का माहौल है। लोग देर शाम तक सड़क पर डटे रहे। गुरुवार को नवाड़ सैलानी फतेहपुर की रहने वाली नंदी भट्ट ;55द्ध पत्नी खीमानंद भट्ट गांव की महिलाओं के साथ पफतेहपुर पफारेस्ट गेस्ट हाउस के पास स्थित जंगल में घास काटने गई हुई थी। इसी दौरान घात लगा गुलदार ने नंदी पर हमला बोल दिया। गुलदार के नंदी पर झपटते ही महिलाओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। गुलदार नंदी को जंगल में लगभग एक किमी तक घसीटता हुआ ले गया। महिलाओं का शोर सुनकर मौके पर ग्रामीण भी पहुंच गए और नंदी की खोजबीन शुरू कर दी। काफी देर तक नंदी की खोजबीन की गई। जंगल में कापफी अंदर नंदी का क्षत विक्षत शव बरामद कर लिया गया। सूचना मिलते ही पुलिस और वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई। आक्रोशित ग्रामीण महिला के शव को उठाकर ग्रामीण बैंक फतेहपुर चौराहे के पास पहुंच गए और सड़क पर जाम लगा दिया। ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी। समाजसेवी नीरज तिवारी ने कहा कि क्षेत्र में लंबे समय से गुलदार का आतंक छाया हुआ है। ग्रामीण कई बार विभागीय अधिकारियों को लिखित व मौखिक तौर पर अवगत करते हुए आदमखोर गुलदार को पकड़ने तथा उसे मारने की मांग करते रहे है। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। उन्होंने कहा कि अगर वन विभाग ने पिछली घटनाओं को गंभीरता से लिया होता तो आज यह घटना नहीं होती। ग्रामीणों का कहना था क्षेत्रा में गुलदार के हमले की यह सातवीं घटना है। सूचना मिलते ही पुलिस के आला अध्किारी भी मौके पर पहुंच गए और जाम खुलवाने को लेकर उन्होंने ग्रामीणों से वार्ता की लेकिन ग्रामीण नहीं मानें। देर शाम तक ग्रामीण सड़क पर जमे हुए थे। वहीं वन विभाग की टीम गुलदार को पकड़ने के लिए कांबिंग शुरू कर दी है। वन महकमे ने जंगल में काफी अंदर तक कांबिंग की लेकिन गुलदार का कहीं सुराग नहीं लगा। वहीं ग्रामीण डीएफओ को बुलाने पर अड़े रहे। उनका कहना था कि जब तक डीएफओ लिखित तौर पर नहीं देंगे, ग्रामीण जाम नहीं खोलेंगे। खबर लिखे जाने तक ग्रामीण सड़क पर ही जमे हुए थे।