बिहार की राजनीति में चिराग पासवान का बड़ा ऐलान, बात आरक्षण और संविधान तक पहुंच गयी

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। 6 जुलाई को सारण में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं चुनाव लड़ूंगा – बिहारियों के लिए, अपनी माताओं-बहनों और भाइयों के लिए। हम बिहार को जातिवाद और तुष्टीकरण से निकालकर विकास की राह पर ले जाएंगे।”
संविधान और आरक्षण को लेकर भी बात
चिराग पासवान ने संविधान और आरक्षण पर उठ रहे सवालों को लेकर कहा, “जब तक मैं जिंदा हूं, न आरक्षण को खतरा है और न ही संविधान को।” उन्होंने बिहार में डोमिसाइल नीति की वकालत करते हुए कहा कि राज्य में इसे फिर से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि 2023 में महागठबंधन सरकार के समय इसे खत्म कर दिया गया और उस फैसले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी भूमिका थी।
नीतीश सरकार पर हमला, कानून-व्यवस्था पर सवाल
चिराग ने हाल ही में पटना में हुए बिजनेसमैन गोपाल खेमका की हत्या का जिक्र करते हुए बिहार सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अगर राजधानी में ऐसा हो रहा है, तो बाकी बिहार की स्थिति की कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की।
चुनाव लड़ेंगे, लेकिन सीट तय नहीं
हालांकि चिराग पासवान ने चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है, लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं है कि वे किस विधानसभा सीट से मैदान में उतरेंगे। उनके जीजा और जमुई से सांसद अरुण भारती ने 2 जुलाई को संकेत दिए थे कि चिराग शाहाबाद क्षेत्र की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
यह बयान ऐसे समय आया है जब बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ जैसे शब्द हटाने की मांग की गई थी, जिसे लेकर विपक्ष ने केंद्र पर निशाना साधा था। चिराग पासवान ने इन आरोपों से खुद को अलग करते हुए कहा कि उनके रहते संविधान को कोई खतरा नहीं।


