ना जलाया जाएगा ना दफनाया जाएगा, जानिए कैसे किया जाएगा सायरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार

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हिंदु और सिख धर्म में शव का जलाकर दाह संस्कार किया जाता है। वहीं ईसाई और इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग शव को दफनाते हैं। लेकिन पारसी समुदाय शव को ना ही जलाया जाता है और ना ही दफनाया। यहां टावर ऑफ साइलेंस के तहत अंतिम संस्कार किया जाता है। इसे दखमा या फिर दोखमेनाशिनी भी कहा जाता है। इसमें एक खास गोलाकार जगह होती है, जहां शव को रखकर छोड़ दिया जाता है। इसके बाद गिद्ध, चील और कौवे उस शव का सेवन करते हैं।
पारसी धर्म के अंदर अग्नि, पृथ्वी और जल तत्व को बहुत ही पवित्र माना जाता है। ऐसे में शव को पानी में बहाने, जलाने या फिर दफनाने से ये तीनों तत्व दूषित हो सकते हैं। इसलिए पारसी शव को सूरज की किरणों के सामने रख दिया जाता है। पिछले कुछ सालों से गिद्धों की घटती संख्या के कारण इस समुदाय को अंतिम संस्कार करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल कुछ सालों पहले गिद्ध कुछ ही घंटों में ये काम कर लेते थे, लेकिन अब इसे होने में कई दिन लग जाते हैं, जिससे दुर्गंध आने लगती है। अंतिम संस्‍कार की यह परंपरा पारसी धर्म में 3 हजार साल से ज्‍यादा पुरानी है।

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