उत्तराखण्ड-लिव इन रिलेशनशिप में बनी तीन बच्चों की मां, प्रेमी ने छोड़ा

देहरादून। एक महिला, जो लिव इन रिलेशनशिप में रहकर तीन बच्चों को जन्म दे चुकी थी, अब भरण-पोषण की समस्या से जूझ रही है। जब उसका प्रेमी उसे छोड़कर चला गया, तो वह महिला राज्य महिला आयोग की शरण में पहुंची, लेकिन आयोग भी इस मामले में अपनी सीमाओं का अहसास कर रहा है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि यह मामला बदलते समाज की वास्तविकता को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले से उन लोगों की आंखें भी खुलनी चाहिए जो समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में लिव इन रिलेशनशिप के प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं। कंडवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि महिला यूसीसी के तहत पंजीकृत होती, तो उसके प्रेमी से भरण-पोषण, बच्चों के संपत्ति अधिकार और अन्य कानूनी हक प्राप्त किए जा सकते थे।
कंडवाल ने यह भी बताया कि आयोग को हर महीने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े दो-तीन मामलों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, जहां कानूनी राहत दिलाना कठिन हो जाता है। इस कारण आयोग ने सिफारिश की है कि यूसीसी के तहत लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य किया जाए, ताकि महिला और बच्चों के कानूनी अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें और भविष्य में किसी महिला को ऐसे संकट का सामना न करना पड़े।
आयोग के अनुसार, शिकायत करने वाली महिला ने शुरुआत में अपने पार्टनर को पति बताया था, लेकिन जांच के दौरान यह सामने आया कि वह केवल प्रेमी था। आयोग के कानूनी परामर्शदाताओं ने महिला के पार्टनर को बुलाकर समझाया है और अब वह बच्चों के देखभाल का खर्च उठाने के लिए सहमति दे चुका है।


