हल्द्वानी में अपने अनूठे अंदाज़ से चर्चा में मेयर प्रत्याशी मनोज आर्य, पत्रकारिता से कूदे चुनावी दंगल में

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हल्द्वानी। मेयर सीट के लिए दस प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें एक नाम मनोज आर्य का है। मनोज पेशे से पत्रकार हैं और चुनावी मैदान में पब्लिक का उन्होने जबरदस्त ध्यान आकर्षित किया है। मनोज की ओजस्वी और मनोरंजक शैली लोगों का ध्यान खींच रही है। मनोज के पास चुनाव के लिए भले ही कोई संसाधन न हों लेकिन जिस अंदाज़ के साथ वो ताल ठोक रहे हैं उसने चर्चा बटोरी हुई है। शहर के स्थापित पत्रकारों में मनोज आर्य का नाम शुमार है। अचानक से वो मेयर के चुनाव में कूद गए और अब अपने अंदाज़ के चलते चर्चा में हैं। शुक्रवार को उन्होने अनूठे अंदाज़ का प्रदर्शन किया और कालाढूंगी चौराहा के पास मंदिर के सामने न सिर्फ लोगों से अपने लिए वोट मांगे बल्कि आर्थिक सहायता के लिए हाथ में थाली लेकर खड़े हो गए और हर आते-जाते व्यक्ति तथा महिलाओं से मदद मांगने लगे।

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मनोज का नारा है कि ‘नेता नहीं मैं बेटा हूं’, साथ निभाउंगा रोज़, नाम है मेरा मनोज, झूठ न मक्कारी अब जनता की बारी। मनोज ने शहर के तमाम मुद्दों तथा जनसमस्याओं को दुरुस्त करने का दम्भ भरा है। बहरहाल मनोज भले ही आज की परिस्थिति में किसी भी प्रत्याशी को टक्कर नहीं दे रहे हों लेकिन उनके बारे में यह बात तो कही जा सकती है कि यह सब करने के लिए जिगर चाहिए। भीड़ में थाली लेकर भीख मांगना और बेबाक अंदाज़ में अपनी बात रखना, बिना किसी झिझक और शर्म के आसान नहीं होता, वो भी एक स्थापित पत्रकार के लिए।

इस अनूठी रणनीति ने हल्द्वानीवासियों का ध्यान आकर्षित किया और सोशल मीडिया पर भी उनकी चर्चा होने लगी। मनोज ने अपने चुनावी प्रचार में शहर के विभिन्न मुद्दों और जनसमस्याओं को प्रमुखता दी। उन्होंने बगैर किसी संकोच के शहर के हर कोने में मौजूद समस्याओं का जिक्र किया और इनका समाधान देने का वादा किया। उनका कहना है कि शहर को एक सशक्त नेतृत्व की जरूरत है, जो जनता के मुद्दों को समझे और उनका समाधान करे। उनके अनुसार, शहर की सफाई व्यवस्था, ट्रैफिक जाम, और जलनिकासी जैसी समस्याएं हल करने के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हल्द्वानी में उनके चुनावी प्रचार का तरीका कुछ हद तक बिना किसी भय और संकोच के अपनी बात रखने का प्रतीक बन चुका है, जो विशेष रूप से एक स्थापित पत्राकार के लिए किसी साहसिक कदम से कम नहीं।

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