मुंबई ट्रेन ब्लास्ट 2006ः दस लाख रुपये, दुबई में नौकरी, मोहम्मद अली शेख ने ATS की पोल खोल दी

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2006 के मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए टाडा कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। इन बरी किए गए लोगों में मोहम्मद अली शेख भी शामिल हैं, जो अब नागपुर जेल से रिहा होकर मुंबई के गोवंडी स्थित अपने घर लौट चुके हैं।

21 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मामले की ऑनलाइन सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों को बरी किए जाने की सूचना मिली। उसी शाम मोहम्मद अली शेख को नागपुर जेल से रिहा कर दिया गया, और अगले दिन सुबह वह अपने घर पहुंचे।

रिहाई के बाद शेख ने मीडिया से बात करते हुए महाराष्ट्र एटीएस (ATS) पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उन्हें और अन्य आरोपियों को झूठे आरोपों में फंसाया गया, प्रताड़ित किया गया और बदनाम किया गया। शेख का आरोप है कि एक एटीएस अधिकारी ने उनके 11 साल के बेटे तक को थप्पड़ मारा और उनके परिवार को बार-बार परेशान किया।

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शेख के अनुसार, एटीएस अधिकारियों ने उन्हें सरकारी गवाह बनने के लिए मजबूर किया और इसके बदले 10 लाख रुपये, दुबई में नौकरी और हर महीने 10 हजार रुपये खर्च देने का प्रस्ताव दिया। लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वे निर्दाेष हैं।

एटीएस की जांच के दौरान शेख पर आरोप लगाया गया था कि एक पाकिस्तानी नागरिक उनके घर आकर रुका था और वहीं पर बम बनाए गए थे, जिनका इस्तेमाल 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में धमाके के लिए किया गया। शेख के एक रिश्तेदार ने इन आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि इससे न केवल शेख की छवि धूमिल हुई, बल्कि पूरा परिवार बर्बाद हो गया।

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शेख पहले ठाणे जेल में बंद थे, जहां उनके भाई मुनव्वर की मौत हुई। उन्होंने पैरोल के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया। कुछ समय बाद उनके पिता का भी निधन हो गया। इस बार पैरोल मिल गई, लेकिन जेल प्रशासन ने ठाणे से गोवंडी तक पुलिस एस्कॉर्ट का खर्च 1.70 लाख रुपये बताया, जो शेख नहीं जुटा सके। नतीजन वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए।

जेल में पढ़ाई और भविष्य की योजना
जेल में रहते हुए शेख ने टूरिज्म में दो कोर्स पूरे किए, आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया और एमए (इतिहास) के पहले साल की परीक्षा दी। अब उनकी योजना अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने की है।

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