निकाय चुनाव नए साल में ही संभव कई बाधाएँ अभी बाक़ी हैं
आज़ाद कलम देहरादून:-निकाय के चुनाव के लिए भले ही भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने हरी झंडी दे दी हो लेकिन अभी इस मामले में काफी होमवर्क बाकी रह गया है सरकार के द्वारा स्थानीय निकाय अधिनियम में संशोधन के लिए जो अध्यादेश राज्यपाल के पास भेजा था उसे पर अभी कोई भी प्रतिक्रिया राजभवन की ओर से नहीं आई है ।
जिससे यह समझा जा रहा है कि इस अध्यादेश पर राज भवन की मंजूरी मिलने के बाद भी अभी ओबीसी आरक्षण के साथ ही 2011 की जनसंख्या के आधार पर निगमों
और नगर पालिकाओं के अध्यक्षों का आरक्षण होना है उसके लिए भी समय निर्धारित किया जाएगा तथा उसमें आपत्तियों के लिए भी एक सप्ताह का समय भी दिया जाना है जिससे सारी परिस्थितियों अभी फिलहाल दिसंबर 25 तक के चुनाव कराने की सरकार की मनसा धरी की धरी रह गई है ।
स्थानीय निकाय चुनाव के लिए कसरत भले ही अंतिम दौर में हो, लेकिन जैसी परिस्थितियां हैं, उनमें 25 दिसंबर तक चुनाव के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
अभी तक नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण का निर्धारण नहीं हो पाया है और कहा जा रहा है कि इसमें कुछ और वक्त लगेगा। इस सिलसिले में नगर पालिका व नगर निगम अधिनियम में संशोधन के दृष्टिगत सरकार अध्यादेश ला रही है, जिस पर राजभवन की हरी झंडी की प्रतीक्षा है। इस पूरे परिदृश्य के बीच निकाय चुनाव अब अगले साल जनवरी या फरवरी तक खिसक सकते हैं।
क्रियाशील स्थानीय नगर निकायों की संख्या 105
प्रदेश में वर्तमान में क्रियाशील स्थानीय नगर निकायों की संख्या 105 है, जिनमें से बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री में चुनाव नहीं होते। शेष 102 निकायों में चुनाव के दृष्टिगत परिसीमन, निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण और मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कार्य हो चुका है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार निकायों में ओबीसी (अदर बैकवर्ड क्लास) के लिए आरक्षण का नए सिरे से निर्धारण होना है। इस संबंध में गठित एकल समर्पित आयोग अपनी रिपोर्ट भी शासन को सौंप चुका है। ओबीसी आरक्षण निर्धारण के सिलसिले में पूर्व में सरकार ने अध्यादेश के जरिये निकाय अधिनियम में संशोधन किया था।