न नमाज़-रोज़ा, न हज, कौन हैं इस्माइली मुस्लिम? धार्मिक गुरु आगा खान के निधन से चर्चा में आए
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आगा खान चतुर्थ, इस्माइली मुस्लिम समुदाय के आध्यात्मिक नेता, का 88 वर्ष की आयु में पुर्तगाल के लिस्बन में निधन हो गया। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक आगा खान ने केवल 20 वर्ष की आयु में इस्माइली संप्रदाय का नेतृत्व संभाला था और उन्हें दुनिया के सबसे अधिक संपर्क वाले व्यक्तियों में से एक माना जाता था।
इस्माइली मुस्लिम शिया मुसलमानों का एक उपसमूह हैं, जो पैगंबर मुहम्मद को अपना पैगंबर मानते हैं। वे अली इब्न अबी तालिब को पहला इमाम मानते हैं, और इस्माइली संप्रदाय के अनुयायी छठे इमाम जाफर अस सादिक के बेटे इस्माइल बिन जाफर के अनुयायी होते हैं। इस संप्रदाय के लोग इमाम के माध्यम से कुरान की व्याख्या मानते हैं और उनकी पूजा का स्थान श्जमातखानाश् होता है।
इस्माइली संप्रदाय का उदय 765 में हुआ, जब जाफर अल-सादिक के उत्तराधिकार को लेकर असहमति उत्पन्न हुई थी। उनके बेटे इस्माइल को संप्रदाय के अनुयायी इमाम के रूप में मानते थे, और उनके नाम पर संप्रदाय का नाम रखा गया। इस्माइल के वंशजों के माध्यम से इमामत का पता चलता है, और अंततः 12 इमामों को मान्यता दी गई, जिनमें से आखिरी इमाम मूसा अल कासिम के वंशज थे। भारत में इस्माइली संप्रदाय की दो प्रमुख शाखाएं हैं-मुस्तलिस (बोहरा) और निजारी (खोजा)।
आगा खान को पैगंबर मुहम्मद का प्रत्यक्ष वंशज माना जाता है, और उनके नेतृत्व को एक राष्ट्राध्यक्ष के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस्माइली संप्रदाय के अनुयायी 25 से अधिक देशों में रहते हैं, जिनमें मध्य और दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। वर्तमान में इस्माइली मुस्लिम समुदाय की संख्या लगभग 1.2 करोड़ है।
इस्माइली मुस्लिम अन्य मुस्लिम समुदायों से काफी भिन्न होते हैं। वे न तो पांच बार नमाज पढ़ते हैं, न ही रमजान के दौरान रोजा रखते हैं, और न ही हज यात्रा पर जाते हैं। इस संप्रदाय के अनुयायी आमतौर पर राजनीतिक विवादों से दूर रहते हैं और अपनी धार्मिक मान्यताओं में एक अलग दृष्टिकोण अपनाते हैं।
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