हल्द्वानी मेयर सीट पर ओबीसी आरक्षण ने बदले सियासी समीकरण, भाजपा से एक नाम ऐसा जिसने सबको चौंकाया (ये कैसे मुमकिन है ?)

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हल्द्वानी। महानगर में महानगर पालिका चुनाव को लेकर राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। मेयर सीट ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में नए दावेदारों ने अपनी दावेदारी पेश की है। हालांकि ओबीसी आरक्षित सीट पर बड़ी पेचीदगी भी देखने को मिल रही है। वो इसलिए कि ओबीसी वर्ग के दावेदारों के नाम भाजपा हो या कांग्रेस दोनों को ढूंढने में कशमकश जैसी स्थिति से गुज़रना पड़ सकता है।

नामों पर कयास और अटकलों का दौर सियासी गलियों में चल रहा है। वहीं इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य से भाजपा और कांग्रेस के बड़े प्रमुख चेहरे साइलेंट हैं। जिन चेहरों पर राजनीतिक चर्चा इस आरक्षण की सूची से पहले की जाती थी अब उनके नाम सिरे से गायब हो गए हैं। हालांकि आरक्षण की यह सूची अनंतिम है, लेकिन फिर भी जो नए समीकरण बन रहे हैं उनपर अटकलें सबसे ज्यादा हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आरक्षण के प्रभाव से हल्द्वानी की राजनीति को नई दिशा मिल सकती है, और इसके चलते पार्टी को अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है।

भाजपा और कांग्रेस दोनों को यह ध्यान में रखना होगा कि किस तरह से वे अपने-अपने समर्थकों को लामबंद कर पाएंगे और किस उम्मीदवार के माध्यम से ओबीसी वर्ग में अधिक से अधिक समर्थन हासिल कर सकते हैं। कुल मिलाकर, हल्द्वानी नगर निगम चुनाव में मेयर पद के लिए आरक्षित सीट पर दावेदारों की संख्या बढ़ गई है और इस चुनावी मुकाबले में कौन किसे पछाड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। इस बीच दावेदारों की बात करें तो भाजपा की ओर से ओबीसी मोर्चा के जिला अध्यक्ष नन्हे कश्यप ने मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है, जबकि कांग्रेस से पूर्व छात्रा संघ अध्यक्ष लाल सिंह पंवार ने भी अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया है।

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कांग्रेस से लाल सिंह पंवार की दावेदारी
कांग्रेस पार्टी की ओर से सबसे प्रमुख दावेदार के रूप में पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष लाल सिंह पंवार का नाम सामने आया है। ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर पंवार को एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। उनके समर्थन में सबसे बड़ा कारण उनकी सामाजिक कार्यों में भागीदारी और युवाओं के बीच उनका मजबूत नेटवर्क है। उनके छात्र राजनीति के अनुभव ने उनके व्यक्तित्व को और भी प्रभावी बनाया है, जो उन्हें चुनावी मैदान में एक सशक्त उम्मीदवार बनाता है। लाल सिंह पंवार का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल मेयर बनना नहीं है, बल्कि हल्द्वानी के नागरिकों की समस्याओं को गंभीरता से उठाना और उन्हें समाधान प्रदान करना है। उन्होंने कहा मेरे लिए राजनीति जनता की सेवा का माध्यम है और यदि मुझे मौका मिलता है तो मैं हल्द्वानी के हर वर्ग को साथ लेकर काम करूंगा।

भाजपा से नन्हे कश्यप की दावेदारी
भाजपा के ओबीसी मोर्चा के जिला अध्यक्ष नन्हे कश्यप ने भी अपनी दावेदारी पेश की है। उन्होंने अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक आयोजित की, जिसमें उन्होंने पार्टी के अंदर एकजुटता बनाए रखने की अपील की। नन्हे कश्यप ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा जिसे भी उम्मीदवार घोषित करेगी, वह सर्वमान्य होगा और पार्टी की नीति के अनुरूप होगा। कश्यप ने कहा हमारी पार्टी ने हमेशा जनहित में काम किया है, और आगामी नगर निगम चुनाव में हम पूरी ताकत के साथ पार्टी के उम्मीदवार के साथ मैदान में उतरेंगे। इस चुनाव में हम पार्टी की नीतियों के आधार पर हल्द्वानी के विकास को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।

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गजराज बिष्ट के नाम ने चौंकाया, नवीन वर्मा भी चर्चा में
सवाल उठता है कि क्या भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य संभावित दावेदारों के नाम पर भी विचार हो सकता है? हाल ही में गजराज बिष्ट का नाम भी हल्द्वानी की मेयर सीट के लिए चर्चा में आया है। गजराज बिष्ट का नाम ओबीसी वर्ग से जुड़ा हुआ है, और इस वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर उनका नाम भी गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि गजराज बिष्ट का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव भी काफी मजबूत है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि वे भाजपा या कांग्रेस के लिए एक चुनौती साबित हो सकते हैं। इसके साथ ही कांग्रेस से दावेदारी करने वाले व्यापारी नेता नवीन वर्मा का नाम भी चर्चा में है। नवीन वर्मा ओबीसी वर्ग से आते हैं और व्यापारिक दृष्टिकोण से भी हल्द्वानी में उनकी अच्छी पहचान है। उनका मानना है कि व्यापारियों और नागरिकों के बीच एक बेहतर संवाद स्थापित कर हल्द्वानी के विकास में योगदान दिया जा सकता है।

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