नहीं रहे पायलट बाबा, एक घटना ने आध्यात्म की ओर मोड़ दिया था जीवन

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अफ़जल फौजी- नैनीताल। देश के जाने माने संत कपिल अद्वैत सामनाथ गिरी पायलट बाबा का मंगलवार को निधन हो गया। वह करीब 86 वर्ष के थे। पायलट बाबा जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर भी थे। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे जिसके चलते उनका मंगलवार को निधन हो गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें हरिद्वार में समाधि दी जाएगी। पायलट बाबा के इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्यम से उनके निधन की जानकारी दी गई है। सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर लिखा गया ओम नमो नारायण, भारी मन से और अपने प्रिय गुरुदेव के प्रति गहरी श्रद्धा के साथ दुनिया भर के सभी शिष्यों तथा भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी ने आज महासमाधि ले ली है।

उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया है। बाबा के इंस्टा अकाउंट से लिखा गया कि यह समय हम सभी के लिए अपने घरों में रह कर प्रार्थना करने का है। कृपया परेशान न हों। यह समय शांत रहने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का है। आगे की जानकारी साझा की जाएगी। बता दें कि पायलट बाबा का जन्म रोहतास जिले के बिशनपुरा गांव में वर्ष 1938 में हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रमा सिंह और माता का नाम तपेश्वरी देवी था। उन्होंने काशी विश्व हिंदू विश्वविद्यालय से आर्गेनिक केमिस्ट्री में एमएससी की शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद वह भारतीय वायु सेना में बतौर पायलट भर्ती हो गए।

पायलट बाबा ने साल 1962 के भारत चीन युद्ध में हिस्सा लिया। इसके अलावा 1965 और 1971 के युद्ध में भी उन्होंने हिस्सा लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने सन्यास ले लिया। उनका नाम कपिल अद्वैत सामनाथ गिरी था। लेकिन भक्तों में वह पायलट बाबा के नाम से जाने जाते थे। वह योग विद्या में सिद्धस्थ थे। पायलट बाबा लंबे समय तक समाधि या मुत्यु जैसी शारीरिक अवस्था में प्रवेश करने के लिए जाने जाते थे। उनकी समाधि प्रायः जमीन के नीचे होती थी।

विमान से खो दिया था नियंत्रण
नैनीताल। वर्ष 1966 में पूर्वाेत्तर में पायलट बाबा बतौर पायलट मिग 21 उड़ा रहे थे कि वापस लौटते समय विमान में तकनीकी खराबी आ गई और अचानक उनका नियंत्रण विमान से खो गया काफी कोशिश के बाद भी स्थिति अनियंत्रित हो गई थी। ऐसी स्थित में अगर विमान क्रैश करता तो उनका बचाना तकरीबन नामुमकिन था। तभी उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु को याद किया। उसके बाद उन्हें लगा कि उनके गुरु हरि बाबा उनके साथ विमान में मौजूद हैं। इसके बाद पायलट बाबा विमान को बेस पर सुरक्षित उतारने में सफल रहे। यहां से उन्होंने तय किया कि वह अब आगे आध्यात्मिक जीवन यापन करेंगे। पायलट बाबा ने बिग विमान हादसे से बचने के बाद 36 साल की उम्र में भारतीय वायु सेना से रिटायरमेंट ले लिया था। बताया जाता है कि इसके बाद उन्होंने हिमालय में 16 साल तपस्या की आज भारत समेत अमेरिका, यूरोप तथा जापान सहित दुनिया भर में उनके हजारों भक्त हैं।

देश विदेश में स्थापित किए आश्रम
नैनीताल। भारत में पायलट बाबा के महत्वपूर्ण आश्रम स्थित हैं जिनमें सासाराम, हरिद्वार व नैनीताल एवं उत्तरकाशी के आश्रम हैैं। इसके अलावा अमेरिका, यूरोप समेत दुनियाभर में भी उनके कई आश्रम स्थित है। पायलट बाबा द्वारा आधा दर्जन पुस्तकों की रचना भी की गई। जिसमें कैलाश मानसरोवर ज्ञान के मोती, हिमालय के रहस्यों को जाने, अंतर्यात्रा तथा आप से स्वयं तक की तीर्थयात्रा एवं हिमालय कह रहा है शामिल हैं।

गेठिया के आश्रम में पसरा सन्नाटा
नैनीताल। महायोगी पायलट बाबा के महाप्रयाण के बाद नैनीताल जिले के गेठिया स्थित पायलट बाबा आश्रम में सन्नाटा पसरा हुआ है। मूल रूप से बिहार निवासी और भारतीय वायु सेवा में विंग कमांडर रहे महायोगी पायलट बाबा ने गेठिया में वर्ष 1980 के दौरान आश्रम की स्थापना की जो वर्तमान में एक बड़े आश्रम के तौर पर स्थापित हो चुका है। आश्रम में देवी देवताओं की दर्जनों मूर्तियां स्थापित हैं। लगभग 100 कमरे वाले आश्रम में हनुमान जी की 50 फीट और गणेश जी की 18 फीट ज्यादा ऊंची मूर्ति तथा प्रवेश द्वार में जल सेवा के लिए बनी गाय जिसके थनों से पेय जल मिलता है, आकर्षण का केंद्र है। आश्रम में भ्रमण के लिए बड़ी संख्या में लोग वर्ष भर यहां पहुंचते हैं। गेठिया आश्रम में बाबा ने कई बार और जापानी शिष्या द्वारा एक बार जमीन के नीचे समाधि ली गईं। आश्रम स्थापना के बाद लंबे समय तक हर दूसरे तीसरे वर्ष विशाल धार्मिक आयोजन होते रहते थे। बीते वर्ष 2023 जून में बाबा आखरी बार एक दिन के प्रवास में आए थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बाबा के निधन का समाचार सुनने के बाद गेठिया स्थित उनके आश्रम में तुरंत पूजा पाठ आदि का सब कार्यक्रम बंद कर दिया गया है। महंत सिद्धार्थ गिरी ने बताया कि बाबा जी के पार्थिव शरीर को मुंबई से हरिद्वार स्थित उनके आश्रम में भक्तों के दर्शन के लिए लाया जा रहा है। जहाँ उनके पार्थिव शरीर के दर्शन के उपरांत अंतिम संस्कार किया जाएगा। प्राप्त जानकारी से यह भी ज्ञात हुआ है कि देश विदेशो से उनके भक्त एवं अनुयायी उनके दर्शनाथ एवं अंतिम यात्रा के लिए हरिद्वार पहुंच रहे हैं।

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