LIC के निजीकरण का फैसला मोदी सरकार का सबसे बुरा निर्णयः यशपाल आर्य

ख़बर शेयर करें -

नैनीताल। देश की एलआईसी को सभी पूंजियों की जननी कहा जाता था। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम का निजीकरण मोदी सरकार के निजीकरण के अभियान के सबसे बुरे निर्णयों में से एक होने जा रहा है। 1956 से विकास के झंडे को देश के दूरदराज के तबकों से लेकर सम्पूर्ण ग्रामीण भारत के कोने-कोने तक पहुंचाने वाली संस्था, जिसके पीछे चलकर ही बाकी तमाम वित्तीय योजनाएं और संस्थाएं उन इलाकों तक पहुंची, स्वतंत्रता पश्चात आत्मनिर्भर भारत के जिस स्वप्न को देखा गया और जिसे अमली जामा पहनाने निगम के लाखों कर्मचारियों, अधिकारियों और एजेंटों ने अपना खून पसीना दिया।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखण्ड पुलिस विभाग में बम्पर प्रमोशन, नीरज भाकुनी समेत 57 सब-इंसपेक्टरों के सितारे हुए बुलंद

उस ट्रस्ट को तोड़कर आज एलआईसी को पॉलिसी धारकों के ट्रस्ट से बदलकर शेयर होल्डर्स के लिए मुनापफे अर्जित करने वाली कंपनी में बदला जा रहा है एलआईसी के निजीकरण का निस्संदेह रूप से सरकार की तरफ से पॉलिसीधारकों को दी जाने वाली सावरेन गारंटी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। भारतीय जीवन बीमा निगम में आम लोगों के अटूट विश्वास के पीछे यह सावरेन गारंटी एक महत्वपूर्ण कारक थी। भारत के अधिकांश हिस्सों में गरीबों को शायद ही कोई सामाजिक सुरक्षा प्राप्त है। एलआईसी उन्हें कम प्रीमियम पर कई सामाजिक सुरक्षा बीमा कार्यक्रम, आकर्षक सावधि जमा योजनाएं और स्वयं सहायता समूहों के लिए विशेष योजनाएं प्रदान करती रही है। यह तर्क तो और भी हास्यास्पद है कि एलआईसी का आईपीओ लाने से भारतीय जनता को लाभ होगा, क्योंकि शेयर बाजार में खुदरा निवेशक आबादी का लगभग 3 प्रतिशत ही है।

Ad