रसीले काफल का स्वाद इस बार फीका, मौसम परिवर्तन ने पहुंचाया नुकसान

नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल में काफल पाको मिल नी चाखो…चैत माह में पेड़ में लगने वाले रसीले काफल का स्वाद इस बार फीका पड़ गया है। मौसम परिवर्तन और जंगलों की आग की वजह से इस बार का काफल के पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा है। जिससे बाजार में बिकने वाले काफल स्वादिष्ट नहीं आ रहे। मालूम हो स्वाद के साथ-साथ काफल औषधीय गुणों से भी युक्त है। पकने के बाद यह फल अब बाजार में तो आ गया है लेकिन शुरुआती दौर में अभी काफी महंगे दामों पर बिक रहा है। जंगलों से तोड़कर बाजार लाने वाले किसानों को यह पफल सस्ते दामों में मंडी में बेचना पड़ रहा है। जबकि मंडी से यह फल बाजार में आने के बाद 300 रुपये किलो में बिक रहा है।
इसका स्वाद भी फीका लग रहा है। इसका कारण मौसम परिवर्तन और जंगलों में लग रही आग को माना जा रहा है। मालरोड में स्ट्रॉबेरी, शहतूत, हिसोले और काफल बेचने वाले विक्रेताओं की टोकरी से फिलहाल अभी काफल नदारद हैं। वहीं नैनीताल के काफल विक्रेता प्रताप सिंह जीना ने बताया कि नगर में उनके पास ही केवल अभी काफल मिल रहे हैं। बताया कि दो साल पहले कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते फल बाजार में नहीं आया था। बताया कि जंगलों में वनाग्नि के चलते काफल के पेड़ भी जल गए हैं, जिससे फल की पैदावार भी कम हुई है। उन्होंने बताया कि इस बार बाजार में काफल कम संख्या में आएगा। आने वाले दिनों में काफल के दाम 400 से 500 रूपये तक बढ़ सकते हैं।
