हल्द्वानी के इस मामले का खूब मचा था शोर, मामला निकला कुछ और

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हल्द्वानी। बीती 12 दिसंबर को हल्द्वानी से देहरादून तक उस समय हड़कंप मचा गया था जब बाल संप्रेक्षण गृह हल्द्वानी में रहने वाली एक किशोरी ने दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। इस मामले में पुलिस ने अपनी ओर से रिपोर्ट दाखिल करते हुए किशोरी द्वारा लगाए गए आरोपों को नकार दिया है पुलिस की फाइनल रिपोर्ट में किशोरी के आरोप पूरी तरह से मनगढ़त है। बता दें कि बीती आरोप लगाने वाली ऊधमसिंहनगर जिले की रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी को बीती 8 नवंबर को राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र के बाल संप्रेक्षण गृह लाया गया था। किशोरी को उसके प्रेमी के साथ दिल्ली से बरामद किया था और घरवाले उसे अपने साथ नहीं ले जा रहे थे।

इसके बाद 17 नवंबर, 27 नवंबर और पिफर 12 दिसंबर को किशोरी को केंद्र से बाहर उपचार के लिए ले जाया गया। एक बार वो महिला अस्पताल ले जाई गई और दो बार डा. सुशीला तिवारी चिकित्सालय। 15 दिसंबर को एक न्यायिक अधिकारी ने बाल संप्रेक्षण गृह का निरीक्षण किया। इस दौरान 15 वर्षीय किशोरी ने न्यायिक अधिकारी को बताया कि संस्थान की अनुसेवक दीपा व होमगार्ड गंगा उसे बाहर ले जाती हैं। जहां उसके साथ मारपीट व दुष्कर्म होता है।

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न्यायिक अधिकारी ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए बाल कल्याण समिति सीडब्ल्यूसी को जांच कर प्राथमिकी कराने के निर्देश दिए। मध्य रात्रि बाद सीडब्ल्यूसी के सदस्य रविंद्र रौतेला ने दीपा और गंगा के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने दोनों के विरुद्ध दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच एसआई ज्योति कोरंगा को सौंपी दी। इस मामले की 13 दिन जांच चली और पुलिस के हाथ ऐसा कोई सुबूत नहीं लगे। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि किशोरी सच बोल रही है। गुरूवार को इस मामले में आई एफएसएल रिपोर्ट में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। जिसके बाद पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए कहा कि किशोरी के आरोप पूरी तरह मनगढ़ंत थे।

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बाल संप्रेक्षण गृह के इस मामले में हमारी टीम ने हर एंगल से बरीकी से जांच की। किशोरी ने जिस रास्ते ले जाने की बात कही, उस रास्ते के सभी सीसीटीवी पफुटेज भी खंगाले गए। सीसीटीवी में किशोरी के सिर्फ अस्पताल से जाने-आने की पुष्टि हुई। इसके अलावा एफएसएल रिपोर्ट में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। जिसके बाद मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस बंद कर दिया गया।
प्रहृलाद नारायण मीणा, एसएसपी

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