इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जस्टिस शेखर यादव के पर कुतर दिये हैं, विश्व हिन्दु परिषद के प्रोग्राम में गलतबयानी की थी

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जस्टिस शेखर यादव के कार्यभार में बदलाव किया है, जिनके हालिया बयानों को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। अब जस्टिस यादव केवल निचली अदालतों के फैसलों के खिलाफ दायर की गई प्रथम अपीलों की सुनवाई करेंगे, और इन अपीलों में से केवल वे मामले सुनेंगे जो 2010 से पहले दायर किए गए थे। नया रोस्टर 16 दिसंबर से लागू होगा।

यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस यादव के विवादित बयान पर विस्तृत जानकारी मांगने के बाद उठाया गया है। इससे पहले जस्टिस यादव बलात्कार जैसे संवेदनशील मामलों और कई बड़े मामलों की सुनवाई करते थे।

विपक्षी दलों ने जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। PTI के अनुसार, 11 दिसंबर तक महाभियोग नोटिस के लिए 38 सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए थे, जबकि नोटिस के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है।

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जस्टिस शेखर यादव का विवादास्पद बयान

8 दिसंबर को जस्टिस शेखर यादव ने प्रयागराज में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था, जो विश्व हिंदू परिषद (VHP) की लीगल शाखा द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में वक्फ कानून, समान नागरिक संहिता (UCC) और धर्मांतरण के मुद्दों पर चर्चा की गई।

इस दौरान जस्टिस यादव ने कहा था, “यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि हिंदुस्तान में बहुसंख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा। यही कानून है। परिवार और समाज में भी जहां अधिक लोग होते हैं, वहां उसी की बात मानी जाती है।” इसके अलावा, उन्होंने ‘कठमुल्ला’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा, “जो कठमुल्ला हैं, वे देश के लिए घातक हैं। वे जनता को बहकाने वाले लोग हैं और देश की तरक्की में रुकावट डालते हैं।”

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इस बयान के बाद विवाद उत्पन्न हो गया और जस्टिस यादव ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनका मतलब यह था कि “बहुसंख्यक” से उनका तात्पर्य प्रगतिशील सोच रखने वाले लोगों से था, और हिंदू-मुस्लिम के संदर्भ में उनका बयान गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। उन्होंने ‘कठमुल्ला’ शब्द को सामान्य रूप से इस्तेमाल होने वाला शब्द बताते हुए कहा कि यह हिंदू धर्म के उन लोगों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है जो गलत तरीके से काम करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव के इस बयान का स्वत: संज्ञान लिया है और इस पर जांच शुरू कर दी है।

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