‘शरबत जिहाद’ टिप्पणी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई रामदेव को फटकार, कहा– “इस बयान ने मेरी अंतरात्मा को झकझोर दिया”

दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि के सह-संस्थापक बाबा रामदेव को ‘शरबत जिहाद’ टिप्पणी के लिए कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने इस बयान को गंभीर और समाज को विभाजित करने वाला बताते हुए कहा कि “इस टिप्पणी ने मेरी अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया।” कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसा बयान न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि इसका कोई औचित्य नहीं बनता।
वायरल वीडियो बना विवाद की जड़
बाबा रामदेव का एक वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें वह पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार करते हुए रूह अफ़ज़ा पर निशाना साधते दिखे। उन्होंने आरोप लगाया कि रूह अफ़ज़ा की कमाई का उपयोग “मदरसे और मस्जिद बनाने” में होता है और इसे उन्होंने ‘शरबत जिहाद’ बताया। इस बयान पर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
रामदेव ने दी सफाई, कहा- “किसी समुदाय का नाम नहीं लिया”
विवाद बढ़ने पर बाबा रामदेव ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने न तो किसी ब्रांड का नाम लिया और न ही किसी धर्म या समुदाय को निशाना बनाया। लेकिन इस दलील को कोर्ट ने नकारते हुए कहा कि जो वीडियो उन्होंने देखा, वह स्पष्ट रूप से आपत्तिजनक है।
कोर्ट का निर्देश– “हलफनामा दायर करें, भविष्य में ऐसा बयान न दोहराएं”
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस अमित बंसल ने 22 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए रामदेव को पांच दिन के अंदर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। इस हलफनामे में उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि वह भविष्य में किसी भी ऐसे बयान, विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट से परहेज करेंगे, जिससे सामने वाले पक्ष को आपत्ति हो।
रूह अफ़ज़ा निर्माता हमदर्द की याचिका पर सुनवाई
यह मामला तब और तूल पकड़ गया जब रूह अफ़ज़ा ब्रांड निर्माता हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया ने बाबा रामदेव और पतंजलि के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया। याचिका में ‘शरबत जिहाद’ वाले वीडियो को सभी प्लेटफॉर्म से हटाने और ऐसे प्रचार पर रोक लगाने की मांग की गई।
रामदेव की ओर से सभी विज्ञापन हटाने का आश्वासन
रामदेव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल रूह अफ़ज़ा के खिलाफ सभी तरह के विज्ञापन (प्रिंट, डिजिटल और वीडियो सहित) हटा देंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि रामदेव किसी भी धर्म या समुदाय के विरोधी नहीं हैं।
इस पर कोर्ट ने दो टूक जवाब दिया, “अगर आप वाकई किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं, तो यही बात हलफनामे में लिखकर दें। सिर्फ कहने से नहीं चलेगा।”
अगली सुनवाई 1 मई को
अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी, जिसमें रामदेव द्वारा दायर हलफनामे की समीक्षा की जाएगी।


