हल्द्वानी: उर्दू अनुवादक फरीद अहमद की एक और उपलब्धि अब उत्तराखंड की लोक कथाओं को सजाया उर्दू के अल्फ़ाज़ों से

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आज़ाद कलम:- उत्तराखण्ड राज्य गठन दिवस व विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड कि लोक कथाओं का उर्दू अनुवाद हल्द्वानी निवासी फ़रीद अहमद ने “उत्तराखण्ड की लोक कथाएँ” नाम से किया तथा अल्ट्रा क्रिएशन्स पब्लिकेशन, हल्द्वानी ने पुस्तक को प्रकाशित किया है।
अनुवादक फ़रीद अहमद ने कहा कि लोककथाएँ कहानियाँ, आख्यान, प्रवचनों की श्रृंखला हैं जो किसी समाज या संस्कृति से संबंधित हैं। जो मानव जीवन की घटनाओं और अनुभवों के आधार पर निर्मित होते हैं, जो निरंतर कहने, सुनने और कहे जाने की प्रक्रिया के माध्यम से समाज में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से प्रसारित होते हैं। लोक कथाओं और कहानियों का मुख्य उद्देश्य सभ्यता और समाज के ज्ञान, समझ, नैतिक मूल्यों और सूचनाओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुंचाना है। विश्व के सभी देशों, प्रांतों और राज्यों में भिन्न-भिन्न प्रकार की लोक कथाएँ और कहानियाँ पाई जाती हैं, जिनके माध्यम से ज्ञान और समझ को उन्नत किया गया है।
लोक साहित्य का उर्दू साहित्य में अनुवाद करने की परंपरा बहुत पुरानी है। प्रो. क़मर रईस, वहाब अशरफ़ी, इब्राहिम फ़ैज़, राशिद हसन खान, प्रो. शमीम हनफ़ी, डॉ. ज्ञान चंद जैन जैसी विद्वानों और साहित्यिक हस्तियों ने लोक साहित्य की परंपरा और महत्व को दर्ज किया है। उर्दू साहित्य में देखा जाए तो दुनिया के अधिकांश देशों और भारत के प्रांतों के लोक साहित्य का उर्दू भाषा में अनुवाद किया गया है। लेकिन उत्तराखंड प्रांत को अस्तित्व में आए 23 साल हो गए हैं, फिर भी उत्तराखंड के लोक साहित्य से जुड़ी उर्दू भाषा में कोई किताब नहीं है। यह पुस्तक “उत्तराखंड की लोक कथाएं” उत्तराखंड प्रांत के लोक साहित्य के संबंध में उत्तराखंड की लोक कथाओं, कहानियों के उर्दू अनुवाद का पहला संग्रह होगी, जिसमें 30 लोक कथाएं शामिल हैं। आशा है कि उत्तराखंड की लोक कथाओं, कहानियों और लोक साहित्य के अनुवाद का सिलसिला इसी तरह जारी रहेगा, ताकि उत्तराखंड के लोक साहित्य को उर्दू साहित्य की महान कोष में अन्य प्रांतीय लोक साहित्य की तरह स्थान मिल सके।
फ़रीद अहमद उर्दू भाषा के रिसर्च स्कॉलर तथा कई पुस्तकों के लेखक व संपादक हैं। आप के द्वारा उर्दू साहित्य की पुस्तकों का हिंदी तथा हिंदी साहित्य की पुस्तकों का उर्दू में अनुवाद किया जा रहा है।इससे पूर्व फ़रीद अहमद द्वारा शैलेश मटियानी व पद्मश्री गौरा पन्त शिवानी की कहानियों के उर्दू अनुवाद की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। पुस्तक को pothi.com से मंगाया जा सकता है तथा ई-बुक के रूप मे अमेज़न व गूगल बुक से डाउनलोड किया जा सकता है।

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