हल्द्वानी 1975 से पहले भूमिधरी में दर्ज था, किस आदेश पर नज़ूल किया गया ? नई बहस को जन्म दे सकती है इस समिति की बात
हल्द्वानी। ‘हल्द्वानी नजूल क्यों संघर्ष समिति’ ने शुक्रवार को भोला शंकर के आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में नागरिकों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर तीव्र आक्रोश व्यक्त किया और शासन द्वारा की जा रही नजूल भूमि की तोड़फोड़ को निरंकुश बताया। वक्ताओं ने कहा कि जिन लोगों के पास रजिस्ट्री भूमि है, उन्हें न केवल उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा, बल्कि उनकी ज़मीन को नजूल के नाम पर ध्वस्त किया जा रहा है।
समिति के सह-संयोजक जहीर अंसारी ने बैठक के दौरान बताया कि हल्द्वानी के निवासियों को उनका मालिकाना हक दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसके साथ ही, एडवोकेट अहरार बेग द्वारा जिला न्यायालय में एक सिविल सूइट भी दायर किया जा रहा है, जिसका नोटिस तीन महीने पहले जिलाधिकारी को दिया गया था। समिति के संयोजक प्रकाश चंद्र हर्बाेला ने कहा कि हल्द्वानी नगर की खतौनी में 1969 से 1972 तक भूमिधरी वर्ग 1(क) दर्ज था।
इसके बावजूद, वर्ष 1975 में किस आदेश से भूमि का वर्गीकरण बदलकर नजूल कर दिया गया, इसका कोई स्पष्ट जवाब प्रशासन नहीं दे सका। सूचना अधिकार के तहत पूछे गए सवालों का भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में कहा कि लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सक्षम न्यायालय में वाद दायर करें। हर्बाेला ने यह भी सवाल उठाया कि उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना संख्या 49(2)/94-81-94-रा/14, दिनांक 2/6/1995 के तहत हल्द्वानी नगर में बंदोबस्ती लागू की गई थी, जबकि बंदोबस्ती केवल भूमिधरी के गांवों में ही लागू होती है। ऐसे में हल्द्वानी में नजूल क्यों घोषित किया गया? उन्होंने कहा लोकतंत्रा में हर व्यक्ति का वोट अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आगामी निकाय चुनावों में हमें अपने मत का प्रयोग एक हथियार के रूप में करना चाहिए। जो भी दल या व्यक्ति हमें भूमिधरी का हक दिलाने का प्रयास करेगा, हम उसे ही अपना मत देंगे। समिति के नेताओं ने नागरिकों से अपील की कि वे इस मुद्दे को लेकर जागरूक हों और घर-घर जाकर जनसंपर्क करें ताकि यह मुद्दा और अधिक प्रमुख हो सके। बैठक में प्रमुख रूप से भोला शंकर जोशी, एडवोकेट अहरार वेग, मनोज अग्रवाल, तनुज गुप्ता, टीटू अग्रवाल, योगेंद्र भट्ट, उमेश, पुष्कर बिष्ट और अन्य समिति सदस्य उपस्थित थे।