जयंती आज……हिमालय जैसे शांत और चट्टान जैसे अडिग थे पंडित गोविंद बल्लभ पंत

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हल्द्वानी। भारत के पूर्व गृह मंत्री उत्तराखंड के एक मात्र भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत का आज 135वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। भारत की आजादी और उसके बाद की राजनीति में पं. पंत क बेहद अहम योगदान रहा। पंत जी हिमालय जैसे शांत व चट्टान जैसे अडिग नेता थे। उनका जन्म अल्मोड़ा जनपद के खूंट गांव में 10 सित्मबर 1887 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में हुई। इलाहाबाद वर्तमान में प्रयागराज से उन्होंने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की और नैनीताल, काशीपुर व अल्मोड़ा में वकालत की। महात्मा गांधी के आव्हान पर अपनी वकालत छोड़कर देश की आजादी के आन्दोलन में कूद गये।

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पंत जी नैनीताल जिला बोर्ड के अध्यक्ष के साथ-साथ तल्लीताल नैनीताल की रामलीला समिति सहित कई सामाजिक संगठनों से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। नैनीताल बैंक की स्थापना में उनका योगदान बड़ा योगदान रहा। जिस कारण आज भी बैंक उनकी याद में कार्यक्रम आयोजित करता है। कुली बेगार जैसी कुप्रथा को खत्म करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। वे 1923 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने। 1927 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वह कांग्रेस कार्यकारिणी के 30 वर्षाे तक सदस्य रहे। गांधी जी द्वारा चलाए गए तमाम आंदोलन में वह कई बार गिरफ्तार किए गए। सन् 1946 में संयुक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 8 वर्षों तक इस पद पर रहे। 1954 में केंद्रीय गृह मंत्री बने। 1957 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें सर्वाेच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा। 7 मार्च 1961 को उनका देहांत हुआ।

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