एक देश एक चुनाव पर केन्द्र सरकार का बड़ा कदम, सियासत में भूचाल

ख़बर शेयर करें -

देश के चुनावी सिस्टम में एक एतिहासिक फेरबदल होने की संभावनाओं को बल मिल सकता है। एक देश, एक चुनाव की दिशा में सरकार ने पहला कदम उठा दिया है। दरअसल सरकार ने इसकी संभावनाओं पर विचार के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया गया है। कमेटी के सदस्यों पर थोड़ी देर में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं।

कांग्रेस ने सवाल किया है कि अभी इसकी क्या जरूरत है? पहले महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों का निवारण होना चाहिए। वहीं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी आज पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात का वीडियो भी सामने आया है। बता दें कि चुनाव कराने की वित्तीय लागत, बार-बार प्रशासनिक स्थिरता, सुरक्षा बलों की तैनाती में होने वाली परेशानी और राजनीतिक दलों की वित्तीय लागत को देखते हुए मौजूदा सरकार एक देश, एक चुनाव की योजना पर विचार कर रही है। इसके तहत सरकार लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराना चाहती है।

यह भी पढ़ें 👉  1 दिसंबर से लागू होंगे कई महत्वपूर्ण बदलाव, सीधा असर पड़ेगा आपके बटुए पर

साल 1951-52 में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे। इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में भी लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए, लेकिन बाद में 1968, 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने और 1970 में लोकसभा को समय से पहले भंग होने से यह साथ चुनाव कराने का चक्र बाधित हो गया। यही वजह है कि अब स्थिति ये हो गई है कि हर साल कहीं ना कहीं चुनाव हो रहे होते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  महाराष्ट्र में सियासी हलचल, एकनाथ शिंदे लेंगे बड़ा फैसला

ऐसे में सरकार फिर से लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। अब इस दिशा में कमेटी का गठन एक बड़ा कदम है। सरकार ने एक देश, एक चुनाव की संभावनाओं पर विचार के लिए कमेटी का गठन कर दिया है। हालांकि सरकार के लिए भी इस फैसले को लागू करना और इस संबंध में कानून बनाना आसान नहीं होगा। दरअसल एक साथ चुनाव कराने के लिए कई विधानसभाओं के कार्यकाल में मनमाने ढंग से कटौती करनी पड़ेगी। जिसका विरोध होना तय है। वहीं आज इस कदम के बाद ही विपक्ष ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। तमाम राजनीतिक दल इसके विरोध में उठ खड़े हुए हैं।

Ad