रेलवे अतिक्रमण मामला: उजाड़ने से पहले पुनर्वास की व्यवस्था करे सरकार “मतीन सिद्दीकी” की कमिश्नर से गुहार

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आज़ाद क़लम:- हल्द्वानी। रेलवे की कथित भूमि पर अतिक्रमण और बरसों से बसी गफूर बस्ती को उजाड़े जाने का मामला एक बार फिर से कुमाउं कमिश्नर के द्वार पहुंचा है। वरिष्ठ नेता व समाजसेवी हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने कैंप कार्यालय हल्द्वानी में कमिश्नर दीपक रावत को ज्ञापन सौंपकर गफूर बस्ती के पुनर्वास की मांग की है और कहा है कि अगर बस्ती उजाड़ी ही जानी है तो पहले यहां के लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए, जो कि सरकार की जिम्मेदारी है। ज्ञापन में कहा गया है कि आजाद नगर बनभूलपुरा क्षेत्र में लाइन नम्बर 17, किदवई नगर में रहने वाले लोगों के पूर्वजों ने उक्त स्थान पर कुछ भवन 60 वर्ष से भी पहले यह भूमि भारत सरकार से ऑक्शन में खरीदी थी। कुछ को राज्य सरकार द्वारा नजूल (लीज) पर प्रदान की गयी है जिसको आज की तारीख में रेलवे गलत धारणों से कब्जा करने के लिए सीमांकन कर अपना बता रहा है। इस प्रकरण के वाद न्यायालय में विचाराधीन हैं। परन्तु बदनियती से उक्त सभी तथ्यों को छुपाकर रेलवे व हाईकोर्ट में याचिकर्ता रविशंकर जोशी द्वारा न्यायालय को भ्रमित कर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। बताया कि जिन जगहों पर नजूल के पट्टे कस्टोडियन प्रॉपर्टी फ्री-होल्ड प्रॉपर्टी और सरकारी स्कूल और इंटर कॉलेज और हॉस्पिटल, ट्यूबवेल व तमाम मन्दिर, मस्जिद, मज़ार के आगे भी अपने खंबे लगा दिए हैं। विगत कई वर्षों से यदा कदा चली आ रही कार्यवाही में कई लोगों को जान माल का नुकसान सहना पड़ा है।

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अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने बताया कि वर्ष 2007 में रेलवे ने गफूर बस्ती व ढोलक बस्ती से अतिक्रमण हटा दिया था लेकिन लोगों का न तो पुनर्वास किया गया और न ही रेलवे आगे कोई कार्यवाही कर पाया जिस वजह से बेघर हुए लोग पुनः वहीं पर बस गए

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अब वर्तमान में फिर से उक्त भूमि को लेकर डर और दहशत का माहौल बनाया जा रहा है जिससे लोगों के सामने बेघर होने की चिंता सताने लगी है। यहां पर गरीब परिवार रहते हैं जो जैसे-तैसे अपनी गुजर करते हैं। अगर परिवारों से छत छीन ली गयी तो वो दरबदर हो जाएंगे। ज्ञापन में कमिश्नर से मांग की गयी है कि जिला प्रशासन से उक्त भूमि पर अग्रिम कार्यवाही के लिए न्यायालय को सही तत्यों से अवगत करवाया जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में जावेद सिद्दीकी, आदिल सईद एडवोकेट, फैजान अंसारी, हाजी अकील, अफरोज जहां, शाहनावाज, अख्तर हुसैन, रफीक अहमद, बबलू, अजीम, नसीर हुसैन, विक्की खान, नाजिम मिकरानी, रफीक अहमद, नासिर मौजूद थे।

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