उत्तरकाशी-सुरंग में फंसे 41 लोगों का पहला CCTV फुटेज सामने आया, 10 दिन से कैसे रह रहे मजदूर ? मज़दूरों की नाम लिस्ट

ख़बर शेयर करें -

12 नवंबर को उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग ढह गई थी। टनल में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर फंसे हुए हैं। उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के ढहने से 41 मजदूर अभी भी अंदर ही फंसे हुए हैं। मजदूरोें को सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। आज दसवां दिन है। बचाव दल सुरंग के अंदर सीसीटीवी कैमरा डालकर मजदूरों की गिनती कर रहे हैं।

सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की पहली सीसीटीवी फुटेज आई है। अधिकारी पहले ही वॉकी-टॉकी और पाइप के माध्यम से मजदूरों से बात कर रहे थे। अब सुरंग के अंदर कैमरा डालकर मजदूरों की गिनती की जा रही है। अधिकारी सुरंग के अंदर का भूगोल समझने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि बचाव कार्य में तेजी लाई जा सके।

यह भी पढ़ें 👉  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की स्वच्छता ही सेवा-2024 कार्यक्रम की शुरुआत

फंसे हुए मजदूर अपना शारीरिक और मानसिक मनोबल बनाए रखने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार मजदूरों को टहलने और योग करने की सलाह दी जा रही है। आत्मविशवास बनाए रखने के लिए उनकी परिजनों से बात कराई जा रही है। सरकार की तरफ से मनोचिकित्सक डॉ अभिषेक शर्मा को नियुक्त किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक शर्मा लगातार मजदूरों के संपर्क में हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख रहे हैं।

अब तक, मजदूरों को पाइप के जरिए मुरमुरे, चना और सूखा मेवा जैसा खाना भेजा जा रहा था। अब 6 इंच का पाइप सुरंग के अंदर डाला गया है। इसके बाद सोमवार, 20 नवंबर को प्रशासन ने केला, सेब, दलिया और खिचड़ी जैसा भोजन मजदूरों को भेजा। साथ ही, मजदूरों तक फोन और चार्जर भी भेजने की योजना बन रही है। ताकि मजदूर खुद को व्यस्त रख सकें। अधिकारियों की मानें तो बंद जगह होने के कारण अंदर ठंडी या मच्छरों की समस्या नहीं है।

यह भी पढ़ें 👉  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की स्वच्छता ही सेवा-2024 कार्यक्रम की शुरुआत

अधिकारियों ने कहा है कि मजदूरों के पास पानी की व्यवस्था है। इससे पहले श्रावस्ती के 6 मजदूरों से वहां के आपदा विशेषज्ञ अरुण कुमार मिश्रा ने बात की थी। सभी 6 मजदूरों ने लगभग एक ही बात दोहराई, बाहर निकालिए हालत खराब है। मजदूरों का कहना था कि अंदर खाने-पीने की व्यवस्था तो है लेकिन सबकी हालत खराब है। कई मीडिया रिपोर्ट्स से भी पता चलता है कि मजदूरों और उनके परिजनो की नाराजगी बढ़ती जा रही है।

Ad