मर मिटने निकला ‘मरजीवड़ा’ जत्था, किसान आंदोलन के इस रुख पर सरकार हुईं बेचैन, श्री गुरुतेग बहादुर साहिब से जुड़ा है इस का ‘मरजीवड़ा’ सिलसिला

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पंजाब। 101 किसानों का एक जत्था, जो दिल्ली कूच करने के लिए निकलने वाला है, इस बार ‘मरजीवड़ा’ के नाम से जाना जा रहा है। किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने स्पष्ट किया कि ‘मरजीवड़ा’ का मतलब किसी की जान लेना नहीं है, बल्कि यह अपने प्राणों की आहुति देने का प्रतीक है। फूल ने कहा श्री गुरुतेग बहादुर साहिब ने भी अपना मरजीवड़ा जत्था बनाया था, जिसमें भाई मतीदास, सतीदास और भाई दयाला शामिल थे।

हम पंजाब की इस पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका दावा है कि केंद्र और हरियाणा सरकार इस शब्द को लेकर किसानों को डराने की कोशिश कर रही हैं और इस बहाने दिल्ली कूच से रोकने की रणनीति अपनाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र और हरियाणा सरकार इस जत्थे के शांतिपूर्ण दिल्ली कूच को लेकर परेशान हैं। शंभू बार्डर पर किसानों के साथ हुई एक बैठक में पटियाला पुलिस प्रशासन ने यह खुलासा किया कि सरकारों के डर के कारण किसानों को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं, यहां तक कि शांतिपूर्वक मार्च करने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है।

किसान जत्थे की सुरक्षा के लिए शंभू बार्डर पर बैरिकेडिंग का इंतजाम किया गया है। जत्थे के मार्ग में एक बफर जोन भी बनाए जाने की योजना है, जहां वालंटियर तैनात किए जाएंगे और इसके आगे किसी को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पंधेर ने बताया कि बैरिकेडिंग का यह फैसला फरवरी के घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उनका कहना था कि कई बार किसानों पर अत्याचार किए गए थे, जिसके कारण नौजवानों में आक्रोश फैल गया और कुछ साजिशकर्ताओं ने आंदोलन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। किसान जत्थेबंदियां यह नहीं चाहतीं कि किसी और की जान खतरे में डाली जाए।

किसानों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, जत्थे के साथ करीब 150 सदस्यीय एक रेस्क्यू टीम भी रहेगी। पंधेर ने बताया कि यदि हरियाणा की ओर से आंसू गैस के गोले ड्रोन के माध्यम से फेंके गए, तो रेस्क्यू टीम के सदस्य गीली बोरियां और रूमालों का इस्तेमाल कर किसानों को धुएं से बचाएंगे। साथ ही, जत्थे में पीने का पानी और एंबुलेंस की भी व्यवस्था की जाएगी, ताकि किसी भी किसान को चोट लगने पर उसे तुरंत अस्पताल भेजा जा सके। इस आंदोलन की तैयारी में किसानों ने सुरक्षा और चिकित्सा सेवाओं का पूरा ख्याल रखा है, जबकि केंद्र और राज्य सरकारों का कहना है कि वे कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

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